भारत और चीन में स्वास्थ्य व शिक्षा पर खर्च: एक तुलनात्मक विश्लेषण (2013-2023)
परिचय
किसी भी राष्ट्र के सामाजिक विकास और नागरिकों की गुणवत्ता सुधारने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका दो क्षेत्रों की होती है – स्वास्थ्य और शिक्षा। ये दोनों ही क्षेत्र देश की मानव पूंजी को मज़बूत करते हैं, और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की नींव रखते हैं। भारत और चीन, एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं होने के बावजूद, इन दो क्षेत्रों पर खर्च में बहुत अंतर दिखाते हैं। यह लेख पिछले 10 वर्षों (2013 से 2023) में भारत और चीन द्वारा स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र पर किए गए खर्चों की तुलना करता है और इससे जुड़े सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थों पर प्रकाश डालता है।
भारत और चीन: संक्षिप्त पृष्ठभूमि
भारत और चीन दोनों ही जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया के सबसे बड़े देश हैं। लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था भारत से कहीं बड़ी और तेज़ी से विकसित हुई है। 1980 के दशक से चीन ने स्वास्थ्य और शिक्षा में लगातार निवेश करके अपने मानव संसाधन को उत्पादकता की दिशा में ढाला है। वहीं, भारत इस दिशा में काफी पीछे रहा है।
स्वास्थ्य पर खर्च: चीन आगे क्यों?
पिछले 10 वर्षों में चीन ने स्वास्थ्य पर GDP का औसतन 6% से अधिक खर्च किया, जबकि भारत इस मामले में लगभग 1.5%–2.1% के बीच ही रहा।
भारत का स्वास्थ्य बजट (2013–2023):
वर्ष | भारत – स्वास्थ्य खर्च (% GDP) |
---|---|
2013 | 1.2% |
2014 | 1.13% |
2015 | 1.3% |
2016 | 1.4% |
2017 | 1.4% |
2018 | 1.4% |
2019 | 1.4% |
2020 | 1.6% |
2021 | 1.84% |
2022 | 2.1% |
2023 | 2.1% |
चीन का स्वास्थ्य बजट (2013–2023):
वर्ष | चीन – स्वास्थ्य खर्च (% GDP) |
---|---|
2013 | 5.5% |
2014 | 5.6% |
2015 | 5.8% |
2016 | 6.0% |
2017 | 6.2% |
2018 | 6.5% |
2019 | 6.8% |
2020 | 7.0% |
2021 | 7.1% |
2022 | 7.2% |
2023 | 7.2% |
विश्लेषण:
- चीन का स्वास्थ्य पर खर्च भारत की तुलना में तीन गुना से अधिक है।
- महामारी (COVID-19) के दौरान दोनों देशों ने स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाया, लेकिन भारत में यह वृद्धि सीमित रही।
- चीन में स्वास्थ्य ढांचा – जैसे कि अस्पतालों, मेडिकल रिसर्च, स्वास्थ्य बीमा आदि – अधिक विकसित है।
- भारत में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है।
शिक्षा पर खर्च: भारत पिछड़ता दिखा
भारत का शिक्षा बजट (2013–2023):
वर्ष | भारत – शिक्षा खर्च (% GDP) |
---|---|
2013 | 3.1% |
2014 | 3.0% |
2015 | 3.0% |
2016 | 2.9% |
2017 | 2.8% |
2018 | 2.8% |
2019 | 2.8% |
2020 | 2.9% |
2021 | 2.9% |
2022 | 2.9% |
2023 | 2.9% |
चीन का शिक्षा बजट (2013–2023):
वर्ष | चीन – शिक्षा खर्च (% GDP) |
---|---|
2013 | 3.8% |
2014 | 3.9% |
2015 | 4.0% |
2016 | 4.0% |
2017 | 4.1% |
2018 | 4.2% |
2019 | 4.3% |
2020 | 4.4% |
2021 | 4.5% |
2022 | 4.6% |
2023 | 4.0% |
विश्लेषण:
- भारत का शिक्षा बजट पिछले 10 वर्षों में लगभग स्थिर रहा है।
- चीन ने शिक्षा क्षेत्र को लगातार प्राथमिकता दी है, खासकर प्राथमिक और उच्च तकनीकी शिक्षा में।
- चीन की सरकारी नीतियाँ शोध और विकास (R&D) को बढ़ावा देती हैं, जबकि भारत अभी भी बुनियादी ढांचे पर संघर्ष कर रहा है।
- भारत की नई शिक्षा नीति (NEP 2020) एक अच्छा कदम है, लेकिन इसके क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त निवेश आवश्यक है।
नतीजे और प्रभाव
1. मानव संसाधन विकास:
चीन का उच्च स्वास्थ्य और शिक्षा खर्च उसे एक स्वस्थ, शिक्षित और उत्पादक कार्यबल प्रदान करता है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उसे बढ़त देता है।
2. सामाजिक असमानता:
भारत में कम सरकारी निवेश के कारण निजी स्कूलों और अस्पतालों पर निर्भरता बढ़ी है, जिससे सामाजिक असमानता भी बढ़ती है। गरीब तबका गुणवत्ता वाली सेवाओं से वंचित रह जाता है।
3. नवाचार और तकनीकी प्रगति:
शोध और विज्ञान में चीन की प्रगति उसके शिक्षा बजट से सीधी जुड़ी हुई है। भारत अभी भी संसाधनों की कमी के कारण इन क्षेत्रों में पिछड़ता है।
4. स्वास्थ्य सुरक्षा:
COVID-19 जैसी महामारी ने दिखा दिया कि मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली कितनी जरूरी है। चीन की प्रणाली अधिक संगठित और तैयार दिखी, जबकि भारत में ऑक्सीजन, बेड और वैक्सीन वितरण जैसे मुद्दे सामने आए।
आगे का रास्ता: भारत के लिए सबक
- भारत को अपने स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च को कम से कम GDP के 6% तक बढ़ाना चाहिए, जैसा कि कई विशेषज्ञ और नीति आयोग सुझा चुके हैं।
- ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके।
- डिजिटल शिक्षा, टेलीमेडिसिन, और R&D को विशेष प्राथमिकता देनी चाहिए।
- बजट में सिर्फ आवंटन नहीं, बल्कि प्रभावी क्रियान्वयन और पारदर्शिता भी ज़रूरी है।
निष्कर्ष
भारत और चीन की तुलना से स्पष्ट होता है कि नीतिगत प्राथमिकताएं और संसाधनों का आवंटन एक देश की सामाजिक और आर्थिक दिशा तय करते हैं। भारत को अगर विश्व मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करनी है तो उसे केवल आर्थिक विकास पर ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी मानवीय क्षेत्रों पर भी गंभीरता से निवेश करना होगा। चीन की रणनीति भारत के लिए एक उदाहरण बन सकती है कि कैसे स्मार्ट निवेश से राष्ट्र को आगे बढ़ाया जा सकता है।
📚 Citations / References
- World Bank Data – Education and Health Expenditure (% of GDP)
- Source: https://data.worldbank.org
- Indicators: SE.XPD.TOTL.GD.ZS (Education), SH.XPD.CHEX.GD.ZS (Health)
- Statista – Health Expenditure as % of GDP (China)
- Macrotrends – China Education Spending (% of GDP)
- IndiaSpend – Analysis of Government Health Spending
- PRS Legislative Research – India Education Budget Analysis
- Source: https://prsindia.org
- National Health Accounts India (MoHFW Reports)
- Source: Ministry of Health and Family Welfare, Government of India
- Website: https://nhm.gov.in